पितृ दोष : Pitra Dosh निवारण के सरल और अद्भुत उपाय

पितृ दोष निवारण के उपाय

पितृ दोष : Pitra Dosh निवारण
पितृ दोष : Pitra Dosh निवारण के सरल और अद्भुत उपाय

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष निवारण के अनेकों और सरल उपाय बताये गये हैं। हिंदू धर्मानुसार पितृ दोष को मानव जीवन में बड़ा दोष माना जाता है इसलिए पितृ दोष की शांति के लिए उपाय किये जाते हैं। पितृ दोष निवारण के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की पितृ दोष शांति के सरल और आसान उपाय।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न, पंचम, अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और राहू-केतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है। गुरु ,शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है इनमें सूर्य से पिता या पितामह, चन्द्रमा से माता या मातामह , मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुण्डली का नवम भाव धर्म भाव या पिता भाव भी कहा जाता हैं। इस भाव में सूर्य और राहु की युक्ति पितृदोष योग बनता हैं, जो मनुष्य को अनेकों कष्ट पहुंचाता हैं। 

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में अगर पितृ दोष है तो ऐसे जातक को अनेक प्रकार के परेशानियों और कष्टों से गुजरना पड़ता है। पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने जीवन में अस्थिरता, संतान कष्ट, नौकरी-व्यापार में परेशानी, आर्थिक संकट, गृह क्लेश, शारीरिक और मानसिक कष्ट आदि का सामना करना पड़ता है। इसलिए पितृ दोष निवारण आवश्यक है। सर्व प्रथम ये जानना जरूरी हैं कि पितृ दोष क्या है? और किस ग्रह दोष के कारणों से कुंडली में पितृदोष बनता है?

क्या है पितृ दोष ?

किसी व्यक्ति के मृत्यु उपरान्त उसका अंतिम संस्कार (श्राध्द कर्म) विधि पूर्वक नहीं होता हैं। अगर व्यक्ति की आकाल मृत्यु हुई हो जैसे:-विष-पान, किसी के द्वारा हत्या करने से, किसी दुर्घटना से, जल में डूबने से और हृदय गति रुकने सर्पदंश जैसे कारणों से हुई हो तो व्यक्ति के परिवार को पितृ दोष लगता हैं। यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता जाता हैं । जब तक की हम इसका निवारण नहीं कर लेते हैं।

पितृश्राप दोष एक अदृश्य दोष है। यह दोष जब घर के पितर अपने वंशजों के द्वारा अंत्येष्टि कर्म में हुई किसी त्रुटि के कारण, श्राद्ध कर्म ना करने से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से,अपने वंशजो के आचरण से पितर रुष्ट होने के बहुत से कारण होती है। यह दोष तब भी लागु होता है जब घर के परिजनों के द्वारा श्रद्धापूर्वक किसी भी अवसर पर याद नहीं करते हैं। और ना ही उन्हें कोई प्यार, स्नेह और आदर देते है। उनके प्रति अपने ऋण को चुकाने का प्रयास ही नहीं करते हैं तो ये पवित्र पितृ आत्माएं दुखी होने के वजह से वंशज श्रापित हो जाते हैं ।यही पितृश्राप या पितृदोष कहा जाता है।

पितृ दोष से जीवन में अनेकों बाधाएँ, समस्याओं परेशानियो का सामना करना पड़ता है। जो हमारे समझ से परे होता हैं कारण की लाखों उपायों करने के बाबजूद निदान नहीं होता हैं।

पितृदोष निवारण का वैंदिक उपाय

  • जातक श्रापोद्धार उपाय कर सकते है।
  • त्रिपंडी श्राद्ध का आयोजन करें।
  • प्रत्येक साल पुण्य तिथि पर वार्षिक श्राद्ध अवश्य करें।
  • पूर्वजों की पुण्य तिथि पर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में 15 दिनों के लिए पितरों को तर्पण करें।
  • नित्य तर्पण का विधान हैं। नित्य तर्पण से पितृदोष में लाभ मिलता हैं।
  • प्रत्येक मासिक पुण्य तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराए ।
  • मंदिरों और धार्मिक स्थानों में पितर के आत्मा शांति के लिए दान करें और ईश्वर से प्रार्थना करें।
  • पक्षियों और जानवरों को भोजन दें। खास कर कुत्तो और कौओ को अन्न जरुर खिलायें।
  • प्रत्येक धार्मिक एवम मांगलिक कर्म मे पितरो का आवाहन और पुजन अवश्य करें।
  • कुंडली के ग्रह दोष के अनुसार ग्रहों की पितृदोष निवारण पूजा करें।

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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