प्रत्येक धार्मिक मांगलिक कार्य में नवग्रह पूजन विधि मंत्र सहित : NavGrah Pujan Vidhi अनिवार्य होता हैं। तो आइये सम्पूर्ण पूजन कैसे करें और विधि विस्तार से समझते हैं।
नवग्रह पूजन विधि | मंत्र सहित : NavGrah Pujan Vidhi |
नवग्रह पूजन विधि मंत्र सहित
सर्व प्रथम यजमान या यजमान दंपती स्नान आदि से निवृत और आचमन प्राणयाम द्वारा स्वच्छ होकर अपने कुलदेवता ग्राम देवता और पितरों का ध्यान करें। अपने सभी पूज्यनीय श्रेष्ठ का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर यज्ञ स्थल पर आये पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख आसन पर बैठे। तत्त् पाश्चात् "पुरोहित" ( आचार्य ) को प्रणाम करके उनके आज्ञा अनुसार पूजन कार्य का प्रारंभ करें।
एक चौकोर पीढ़ा पर नवग्रह मंडल की रचना करें, कलश गणेश की स्थापना करे साथ गोबर का गौरी-गणेश या गड़ी-गोला का( गणेश अम्बिका ) की स्थापना करें।
सर्व प्रथम गंगादि नदी का आवाह्न ,उसके बाद शरीर शुद्धि मंत्र से शरीर और आत्मा की शुद्धि करने के बाद पृथ्वी माता का ध्यान आवाह्न करें। यजमान को रक्षासूत्र बांधे पंच देवता, भगवानों विष्णु, गणेश अम्बिका (गौरी-गणेश) कलश-गणेश वरुण पूजन और संकल्प आदि करने के बाद दिशा रक्षा विधान पूर्ण करें।
स्वस्ति वाचन (मंगल पाठ) शांति पाठ स्वस्त्ययन
पंच देव की पूजनविधी ध्यान और महत्व
नवग्रह पूजन कैसे करें ? : NavGrah Puja Kaise Kare?
ईशान्यां चतुस्त्रिंशदगुलोञ्चसमचतुरस्रस्य ग्रहपीठस्य समीपे सपत्नीको यजमानः उपविश्य आचमनं प्राणायामञ्च कुर्यात् ।
(संकल्प:) ततो हस्ते जलं गृहीत्वा मया प्रारब्धस्य अमुककर्मणःसाङ्गता सिद्धयर्थम् अस्मिन् नवग्रहपीठे अधिदेवता प्रत्यधिदेवता पञ्चलोकपाल वास्तुक्षेत्रपाल दशदिक्पालदेवता सहितानाम् आदित्यादि नवग्रहाणाम् तत्तन्मण्डले स्थापनप्रतिष्ठा पूजनानि करिष्ये ।
संकल्प
यजमान अक्षत जल लेकर मंत्र से पूजन का संकल्प ले- ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वंतरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे जंबुद्वीपे भारतवर्षे आर्यावर्तैकदेशे .... नगरे / ग्रामे मासे... शुक्ल / कृष्णपक्षे... तिथौ .... वासरे प्रातः / सायंकाले ... गोत्र..... नाम अहं ममोपात्तदुरितक्षयद्वारा श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं ममसम्पूर्ण मनोकामना सिध्यर्थ आदित्यादि नवग्रह देवता प्रसाद सिद्ध्यर्तं आदित्यादि नवग्रह पूजनं/ नवग्रह शांति पूजनं करिष्ये ।
हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नव ग्रह का आवाहन करें।
सूर्य पूजन विधि : Surya Puja Vidhi
लाल अक्षत और लाल पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र से सूर्य का आवाहन करें :-
ॐ आकृष्णेन रजमा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यञ्च । हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः कलिङ्गदेशोद्भव कश्यपगोत्र रक्तवर्ण भो सूर्य: इहागच्छ इह तिष्ठ, सूर्यमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ सूर्याय नमः
चंदमा (सोम) पूजन विधि : Chandrama Puja Vidhi
श्वेता (उजला) अक्षत-पुष्प लेकर दाएं हाथ से छोड़ते हुए इस मंत्र से चंद्र (सोम) देवता का आहवान करें :-
ॐ इमं देवा असपत्न$ सुवध्वं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्याय इन्द्रस्येन्द्रियाय । इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोमी राजा सोमोस्माकं ब्राह्मणाना$ राजा ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः यमुनातीरोद्भव आत्रेयगोत्र शुक्लवर्ण भो सोम! इहा गच्छ इह तिष्ठ, सोममावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ सोमाय नमः चन्द्रमसे नमः
भौम(मङ्गल) पूजन विधि : Mangal Puja Vidhi
रक्त(लाल) पुष्प-अक्षत लेकर मंडल पर छोड़ते हुए इस मंत्र से भौम मंगल देव का आवाहना करें :-
ॐ अग्निर्मूर्द्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्याऽ अयम् । अपा$रेता$सि जिन्वति।।
ॐ भूर्भुवः स्वः अवन्तिकापुरोद्भव भरद्वाजगोत्र रक्तवर्ण भो भौम! इहागच्छ इह तिष्ठ, भौममावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ भौमाय नमः
बुध पूजन विधि | Budh Puja Vidhi
हरा अक्षत-फूल दाएं हाथ में लेकर मंडल पर छोड़ते हुए इस मंत्र से बुध देव का आवाहन करें:-
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते स$ सृजेथामयं च । अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः मगधदेशोद्भव आत्रेयगोत्र हरितवर्ण भो बुध! इहागच्छ, इहतिष्ठ, बुधमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ बुधाय नमः
गुरु (बृहस्पति) पूजन विधि : Guru Puja Vidhi
पीले(पित) अक्षत-फूल लेकर मंडल पर छोड़ते हुए इस मंत्र से गुरु(बृहस्पति) देव का आवाहन करें:-
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु । यद्दीदयच्छवस$ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम् । उपयामगृहीतोसि बृहस्पतये त्वैष ते योनिर्बृहस्पतये त्वा ।।
ॐ भूर्भुवः स्वः सिन्धुदेशोद्भव आङ्गिरसगोत्र पीतवर्ण भो बृहस्पते । इहागच्छ इहतिष्ठ, बृहस्पतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ गुरुवे नमः
भार्गव (शुक्र) पूजन विधि : Shukra(Bhargav) Puja Vidhi
श्वेता पुष्प-अक्षत लेकर मंडल पर भार्गव(शुक्र) देव का आवाह्न करें:-
ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पयः सोमं प्रजापतिः। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान शुक्रमन्धसइन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयो$मृतं मधु ॥
ॐ भूर्भुवः स्वःभोजकटदेशोद्भव भार्गवसगोत्र शुक्लवर्ण भो शुक्र इहागच्छ इह तिष्ठ, शुक्रमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ शुक्राय नमः
शनि पूजन विधि : Shani Puja Vidhi
शनि देव का आह्वान करने के लिए काले रंगे अक्षत-काले फूल मंडल छोड़ते हुए मंत्र उच्चारण करें:-
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये । शय्योरभिस्रवन्तु नः ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः सौराष्ट्रदेशोद्भव काश्यप गोत्र कृष्णवर्ण भो शनैश्चर! इहागच्छ इहतिष्ठ, ॐ शनैश्चरमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । शनैश्चराय नमः
राहु पूजन विधि | Rahu Puja Vidhi
नीले रंगे अक्षत-फूल लेकर दाएं हाथ से मंडल पर छोड़ते हुए का आह्वान करें:-
ॐ कयानश्श्चित्रऽआभुवदूती सदावृधः सखा । कयाशचिष्ठ्या वृता ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः राठिनपुरोद्भव पैठिनसगोत्र कृष्णवर्ण भो राहो! इहा गच्छ इह तिष्ठ, राहुमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । राहवे नमः
केतु पूजन विधि : Ketu Puja Vidhi
धूम्र वर्ण का अक्षत-फूल लेकर दाएं हाथ से मंडल पर छोड़ते हुए धूम्रकेतु का आह्वान करें:-
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या$ अपेशसे । समुषद्भिरजायथाः ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः अन्तर्वेदिसमुद्भव जैमिनिगोत्र कृष्णवर्ण भो केतो! इहागच्छ इह तिष्ठ, केतुमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि । ॐ केतवे नमः।
नवग्रह मंडल प्राण प्रतिष्ठा मंत्र
ॐ मनोजूतिर्जुषता माज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तन्नोत्वरिष्टं यज्ञॅं$ , समिमं दधातु । विश्वे देवास इह मादयन्तामो३ प्रतिष्ठ : ॥ ऊँ भूर्भुवः स्वः सुर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः।
नवग्रह ध्यान:-
आयुश्च वित्तं च तथा सुखं च धर्मार्थलाभौ बहुपुत्रतांच । शत्रुक्षयं राजसु पूजितां च तुष्टा ग्रहाः क्षेमकरा भवन्तु ॥
ब्रह्मामुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमि-सुतो बुधश्च गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु।
सम्पुर्ण नवग्रह पूजन मंत्र
हाथों में त्रिकुश और जल लेकर मंत्र के साथ अर्घ पाद्य आचमण करें।
एतानि पाद्य- अर्घ्य- आचमनीय- स्नानीय- पुनराचमनीयानि ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः। (पांच वार)
चन्दन
इदमनुलेपनम् ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
अक्षत
इदमक्षतम् ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
पुष्पम्
इदमपुष्पम् ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
जल से नैवेद्य आदि का उत्सर्ग कर अर्पित करे
एतानि गंध- पुष्प- धुप- दीप- ताम्बूल- यथाभाग नानाविध नैवेद्यादनि ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
नैवेद्य उपरांत जल से आचमन
इदमाचमनीयम् ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
पान-सुपाड़ी और द्रव्य दक्षिणा
मुखवासार्थे ताम्बूल पुंगिफलम द्रव्य दक्षिणाम ॐ श्री सूर्यादि नवग्रह मण्डलस्थ देवताभ्यो नमः । (तीन बार)
हाथ मे पुष्प लेकर पुष्पाञ्जलि दें।
सूर्य हरें तम कष्ट करें कम चन्द्र बड़े मुद मंगलकारी ।
बुद्धि पवित्र करे बुध नित्य बढ़ावत ज्ञान गुरु सुखकारी ।।
शुचि जीवन शुक्र सदैव करे शनि शोक हरें रवि दृष्टिनिहारी ।
राहु रहें गति केतु करें मति दिव्य नवग्रह सोहत भारी ।।
रवि राज प्रदान सदैव करें शशि शीतलता नित देत रहें।
क्षिति नंदन नंदज का सुख दें बुद्ध बुद्धि विवेक बढ़ाते रहें॥
गुरु गौरवशाली बनावें सदा भृगु भाग्य सुदिव्य दिलाते रहें।
शनि राहु सुखों से भरे घर को और केतु ध्वजा फहराते रहें॥
आदित्योग्नियुतः शशि स वरूणो भौमः कुबेरान्वितः।
सौम्यः विश्वयुतो गुरूः स माधवो देव्यायुतो भार्गवः॥
सौरिविश्व युतो सदा सुखरो राहू भुजंगेश्वरो।
मांगल्यं सुख-दुःख दान निरता कुर्वन्तु सर्वे ग्रहाः॥
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंVery good
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