व्यायाम के लाभ : (Exercise) का सबसे अधिक लाभ क्यों हैं

जीवन एक उत्सव है। यह आनंदमय है। इसका आनंद उठाने के लिए शरीर भी स्वस्थ चाहिए और मन भी। मन तभी स्वस्थ रहता है, जबकि शरीर स्वस्थ हो। तन में कोई रोग न हो। ऐसे शरीर वाला मनुष्य मन से भी खुश रहता है। जिसके पास न स्वस्थ तन है, न स्वस्थ मन, उसका जीवन बोझ होता है। तो आइये जानते है कि व्यायाम के लाभ: (Exercise) का सबसे अधिक लाभ क्यों हैं ?

व्यायाम का सबसे अधिक लाभ क्यों हैं
व्यायाम का सबसे अधिक लाभ क्यों हैं

व्यायाम का सबसे अधिक लाभ क्यों हैं?

व्यायाम उद्देश्यपूर्ण क्रिया है। नियमित व्यायाम शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से संतुलित करता है बल्कि दिमाग को भी तेज रखने में उपयोगी साबित होता है। तनाव, सिर दर्द और अवसाद जैसी अनेकों समस्याओं से निजाद दिलाती हैं। नियमित व्यायाम की मदद से कम या ठीक किया जा सकता है।अपने शरीर को सुगठित करने के लिए, अपने नाड़ी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए तथा भीतरी शक्तियों को तेज करने के लिए जो भी क्रियाएँ की जाती हैं, वे निश्चित रूप से शरीर को लाभ पहुँचाती हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि सभी प्रकार के खेल व्यायाम के अंतर्गत आ जाते हैं। दूसरी ओर, कुछ अन्य खेलों,जैसे की पहलवानी आदि थका देने वाली क्रियाओं को छोड़कर शेष क्रियाओं को व्यायाम कहते हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य और व्यायाम के लाभ कैसे प्राप्त करें

व्यायाम करने से मनुष्य का शरीर सुगठित, स्वस्थ, सुंदर तथा सुडौल बनता है। हजारों की भीड़ में से कसरती शरीर वाला व्यक्ति सहज ही पहचान लिया जाता है। कसरती व्यक्ति का शरीर-तंत्र स्वस्थ बना रहता है। उसकी पाचन शक्ति तेज बनी रहती है। रक्त का प्रवाह तीव्र होता है। शरीर के मल उचित निकास पाते हैं।

परिणामस्वरूप देह में शुद्धता आती है। भूख बढ़ती है। खाया-पिया शीघ्रता से पंचता है। रक्त-मांस उचित मात्रा में बनते हैं। शरीर स्वस्थ और चुस्त बनता है। आलस्य दूर भागता है। दिन भर स्फूर्ति और उत्साह बना रहता है।

मांसपेशियाँ लचीली हो जाती हैं, जिससे उनकी क्रिया-शक्ति बढ़ जाती है। छाती व पुट्ठों के विकास से शरीर में अनोखा आकर्षण आ जाता है। व्यायाम से शरीर में वीर्य का कोष भर जाता है जिससे तन दमक उठता है। मस्तक पर तेज छा जाता है।

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मानसिक स्वास्थ्य और व्यायाम

व्यायाम का प्रभाव मन पर भी पड़ता है। जैसा तन, वैसा मन। शरीर जर्जर और बीमार हो तो मन भी शिथिल हो जाता है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और आत्मा का निवास होता है।

व्यायाम के पश्चात मन में तेज आ जाता है। उत्साह और उमंग से व्यक्ति जिस भी काम को हाथ लगाता है, वह पूरा हो जाता है। मन में संघर्ष करने की इच्छा बलवती होती है। निराशा दूर भागती है। आशा का संचार होता है।

व्यायाम से अनुशासन का सीधा संबंध है। कसरती व्यक्ति के मन में संयम का स्वयमेव संचार होने लगता है। स्वयं के शरीर पर संतुलन, मन पर नियंत्रण आदि गुण व्यायाम करने से स्वयं आते चले जाते हैं। अतः प्रत्येक व्यक्ति को व्यायाम करना चाहिए।

स्वस्थ व्यक्ति से स्वस्थ समाज का निर्माण कैसे होता हैं

स्वस्थ समाज स्वस्थ व्यक्तियों से बनता है। यदि व्यक्ति स्वस्थ और प्रसन्न होंगे तो वह समाज भी स्वस्थ होगी, सुखी होगा, सशक्त होगा। वह हर बीमारी से लड़ सकेगा। हर उत्सव का आनंद ले सकेगा।

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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