वेदांग

शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त - ये छ: वेदांग है।

शिक्ष--इसमें वेद मन्त्रों के उच्चारण करने की विधि बताई गई है।
कल्प--वेदों के किस मन्त्र का प्रयोग किस कर्म में करना चाहिये, इसका कथन किया गया है। इसकी चार शाखायें हैं- श्रौतसूत्र, गृह्यसूत्र धर्मसूत्र और शुल्बसूत्र।
व्याकरण--इससे प्रकृति और प्रत्यय आदि के योग से शब्दों की सिद्धि और उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित स्वरों की स्थिति का बोध होता है।
निरूक्त--निरूक्त-वेदों में जिन शब्दों का प्रयोग जिन-जिन अर्थों में किया गया है, उनके उन-उन अर्थों का निश्चयात्मक रूप से उल्लेख निरूक्त में किया गया है।
ज्योतिष--इससे वैदिक यज्ञों और अनुष्ठानों का समय ज्ञात होता है। यहाँ ज्योतिष से मतलब `वेदांग ज्योतिष´ से है।
छन्द--वेदों में प्रयुक्त गायत्री, उष्णिक आदि छन्दों की रचना का ज्ञान छन्दशास्त्र से होता है।

आपका मंगल हो, प्रभु कल्याण करे

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