ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।नम: स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव भवन्त्विति
पितृ दोष का कारक
Pitra Dosh : पितृ दोष क्यों लगता है
येसा बहुस सा कारन है जिससे पित्र दोश लगता है । कुछ कारणों को मै बतने जा रहा हुॅ।
सभी मानव जाति को ये अभिलाषा होती है कि मेरे पारिवार मे सदा शांति, सुख, संपन्न खुशहाली प्रेम, द्वेशमुक्त, एकता सदभावना बनी रहे। परिवार रोग मुक्त रहे मनुष्य को अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए देवी-देवताओं के साथ-साथ अपने पितरों का भी पूजन करना चाहिए।
पितृ दोष क्यों लगता है कैसे और कब लगता है।
🌼पितरों का विधान पुर्वक श्राद्ध संस्कार न करना ।
🌼 पितरों को भुल जाना या वाणी और कर्मो के द्वारा अपमान करना ।
🌼 धर्म विरुद्ध व्यावहार रखना गलत आचरण रखना ।
🌼 फलदार यानि फल देने वाले वृक्ष, पीपल वृक्ष, बेलवृक्ष, वटवृक्ष काटना या कटवाना इत्यादि ।
🌼 सर्प को बिना कारन मारना, हत्या करना, बिना किसी दोश सर्प को मरवाना इत्यादि ।
🌼गौहत्या करना, गौ के मरने का कारन होना, अपमान करना इत्यादि।
🌼 नदीधारा, कूआँ, तालाब या पवित्र स्थान पर मल-मूत्र विसर्जन करना, गंदा करना।
🌼 अपने कुल देवता, इष्ट देवता या देवी, इत्यादि को भुलना या अपमानित करना ।
🌼धर्म-स्थल, तिर्थ स्थल अनुचित काम करना ।
🌼 वर्जित तिथि एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या या व्रतादि को संभोग करना ।
🌼 पूज्यनिय स्त्री के साथ गलत संबंध बनाना ।
🌼 अपने से निचले कुल में विवाह संबंध करना या करवाना ।
🌼अन्य स्त्रियों और किसी विधवा से गलत संबंध बनाना ।
🌼 जीवात्मा की हत्या करना या गर्भपात करना-या उसका कारण बनना ।
🌼 कुल की स्त्रियों का अमर्यादित होना ।
🌼 पूज्यनिये व्यक्तियों का अनादर करना गुरुजन का अपमान करना इत्यादि और भी बहुत सारे कारण हैं ।
उपरोक्त कुछ बातो को उचित ध्यान रखने पर बहुत हद तक समस्या को कम किया जा सकत है।